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हमसफ़र 15 पॉर्ट सीरीज पॉर्ट - 8




हमसफ़र (भाग - 8) 

   

वीणा और सुमित की सगाई हो गई। सगाई के बाद  दोनों अपनी बी एड की पढ़ाई में व्यस्त हो गये। दोनों का प्रशिक्षण समाप्त हुआ। प्रशिक्षण में प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दोनों ने सफलतापूर्वक पूरी की और फिर परीक्षा में सम्मिलित हुए और रिजल्ट भी अच्छा हुआ। इस बीच दोनों परिवार समय-समय पर सुखद माहौल में मिलते रहे। सुमित भी प्रशिक्षण के दौरान भी छुट्टी के दिनों में जाकर वीणा से मिलता और उसे बाहर घुमाने भी ले जाता। वापस आकर फिर कॉलेज के हॉस्टल तक छोड़ देता। इस बीच उसकी प्रत्येक आवश्यकता का ख्याल रखता। कोर्स की कॉपियों-किताबों से लेकर उसके सभी प्रोजेक्ट का भी वह ध्यान रखता और उसके कुछ भी बोलने के पहले वह सामान उसे दे देता। उसने प्रशिक्षण में वीणा के घर वालों का कुछ भी पैसा  खर्चा नहीं होने दिया। यहां तक कि शैक्षणिक भ्र्मण पर जाने के लिए वीणा तैयार नहीं थी,लेकिन सुमित ने उसे जाने के लिए प्रोत्साहित किया और उसका खर्च भी उसने आवश्यकता से  अधिक ही दिया। क्योंकि वह भी बी एड कर रहा था और वह भी शैक्षणिक भ्रमण पर जा रहा था इसलिए उसे पता था; कितने रुपए कॉलेज को देने हैं। इसलिए इसमें वीणा का कोई बहाना नहीं चला और सुमित ने उसे भी शैक्षणिक भ्रमण पर कॉलेज के अन्य प्रशिक्षनार्थियों के साथ जाने पर मजबूर कर दिया।

    बी एड की परीक्षा देने के बाद घर आते समय दोनों साथ-साथ ही थे। उसने वीणा के पापा से फोन करके कहा -  "पापा मैं भी तो वापस लौटूंगा तो फिर आपको वीणा को लेने  आने की आवश्यकता क्या है। हम दोनों साथ में आ जाएंगे। आप लोगों को कोई परेशानी तो नहीं"। 

  महेंद्र जी  -  " अरे नहीं बेटा ऐसा क्यों कहते हैं। वीणा सबसे सबसे अधिक सुरक्षित आपके साथ है"।

और इस तरह वीणा और सुमित एक साथ ही आए। परीक्षा के पहले भी सभी सामान के साथ वापस आने में सुमित ने ही सहायता की थी। एक साथ गाड़ी बुक कर के तीनों आए थे। तीनों अर्थात सुमित वीणा और अजय। अजय और सुमित एक ही कॉलेज में थे और वे रूममेट थे। उन लोगों ने अपने साथ-साथ वीणा के जाने की भी व्ववस्था कर ली। परीक्षा के लिए जाते समय भी सुमित ही वीणा को साथ लेकर आया था और फिर उसके हॉस्टल में छोड़कर स्वयं चला गया था अपने कॉलेज। 

  सुमित अपनी पूरी जिम्मेवारी निभा रहा था। बी एड की परीक्षा खत्म होने के बाद सुमित ने वीणा से कहा  - 

   "जैसा कि मुझे पता चला था प्रारंभ में ही कि तुम पीसीएस करना चाहती हो तो ऐसा करो तैयारी के लिए तुम दिल्ली चली जाओ मैं  तुम्हारी व्यवस्था वहां गर्ल्स हॉस्टल या गर्ल्स पीजी में करवा देता हूं। यदि तुम्हारी कोई और सहेली वहां हो तो तुम सुविधा के लिए साथ में भी रह सकती हो। जैसे तुम्हें सुविधा हो वैसे करो; लेकिन तुम तैयारी करो यूपीएससी की और तुम सेंट्रल सर्विस की परीक्षा दो"।

  वीणा -  "इतने पैसे तो खर्च हो रहे हैं,अभी बी एड में भी इतना पैसा खर्चा कर दिया। स्कूल के लिए नौकरी के लिए ट्राई करें, वह परीक्षा देते हैं। फिर यूपीएससी के लिए नए सिरे से तैयारी करने की क्या आवश्यकता है"।

  सुमित  -   "आवश्यकता है ना अभी तुमने बी एड की परीक्षा दी है इसका रिजल्ट आते और नौकरी होते साल दो साल  लग जाएँगे। तीन-चार साल भी लग जा सकता है। इस बीच में तुम खाली बैठ कर क्या करोगी; तो कर लो प्रयास यूपीएससी के लिए। यदि हो जाता है चयन तो बड़ी कुर्सी संभालोगी। और ये क्या है तुम्हारा कहना इतने पैसे लग गए हैं बी एड में! पैसे लगे तो तुम्हारा कैरियर सुरक्षित हो ही गया ना! अगर यूपीएससी नहीं हुआ तो टीचिंग जॉब तुम्हारी तय होगी ही होगी"।

   इस तरह उसे दिल्ली जाने के लिए तैयार कर लिया। सुमित के पापा और भैया ने मिलकर दिल्ली में वीणा के रहने की पूरी व्यवस्था कर दी। सुमित के भैया ने स्वयँ जा कर पीजी देखा, वहाँ की व्यवस्था देखी और एक अच्छे पीजी में वीणा के रहने की व्यवस्था की और अच्छे श्रेणी के कोचिंग में उसका नामांकण करवा दिया। और सुमित के भैया-भाभी स्वयँ वीणा के साथ जाकर उसे वहाँ सब कुछ दिखा कर और पूरी व्यवस्था कर फिर वापस आये।

  हर महीने एक अच्छी खासी राशि जो दिल्ली में रहने खाने पढ़ाई के लिए पूरा होने से भी अधिक था प्रत्येक माह वीणा के खाते में डाल दिया जा रहा था सुमित के परिवार के द्वारा। उसके पापा के द्वारा कोचिंग की पूरी फीस भी दे दी गई थी। भाभी ने वीणा से कहा -

    "तुम कभी भी किसी भी तरह का संकोच मन में मत लाना। परिवार के लिए जैसी मैं हूं बहू वैसे ही तुम भी हो। भले ही समाज के सामने तुम्हारा सिर्फ रोका हुआ है लेकिन हमारी नजरों में तुम इस परिवार की बहू हो। इस कारण तुम्हारी पूरी जिम्मेवारी परिवार की है। जैसे मैं निसंकोच अपने पूरे खर्चे के लिए परिवार से अधिकार सहित अपनी माँग रखती हूं उसी तरह तुम भी नि:संकोच कह सकती हो।  तुम्हारा भी वही अधिकार है जो मेरा है।  हां तुम्हें कर्तव्य अभी पूरा नहीं दिया गया क्योंकि तुम एक विशेष कार्य में अभी लगी हो तो अभी वही तुम्हारा कर्तव्य है। तुम यदि अपने कैरियर में सफलता की ऊंचाई प्राप्त करती हो तो हम मानेंगे तुम हमारे प्रति अपने कर्तव्यों का पालन कर रही हो। इसलिए दिल खोलकर पढ़ो और अपना दिमाग सिर्फ अपने कैरियर की ओर लगाओ। जब तुम्हारा कैरियर बन जाएगा और सुमित से तुम्हारी शादी हो जाएगी तब सुमित और परिवार के प्रति अपने अन्य जिम्मेदारियों का निर्वहन करना"। 

                                   क्रमशः 

   

  निर्मला कर्ण





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3 Comments

Alka jain

04-Jun-2023 12:51 PM

V nice 💯

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वानी

01-Jun-2023 06:59 AM

Nive

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